उलाहने
पैदा होते ही
सह्कर बड़ी होती
सहती ही रहती ताउम्र।
पुत्री के रुप में
बहन के रुप में
पत्नी के रुप में
बहू के रुप में
मां के रुप में-
सहना और जीना।
देखकर-
देखते-देखते
काश
सहना आ जाये सभी को-
सहज हो जाए जीवन्।
मुसीबतें भी अलग अलग आकार की होती है
5 months ago
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