आदत के मुताबिक
समस्यायें आमंत्रित कर
उनका समाधान करना
यह सेवा, मेरे शौक में तब्दील हो गई।
तब एक दिन सपने में
भगवान शिव ने दर्शन दिये।
यहां तक तो ठीक-
लेकिन देवताओं का पूरा प्रतिनिधिमंड़ल
मेरे सामने समस्यायें रखने लगा।
मैं अचरज में था और सुन रहा था।
शिवजी बोले-
हम बहुत परेशान हैं
भक्त आते हैं
पूजा-अर्चना कर
अपनी समस्यायें/मानताएं रखते रहते हैं
हम चुपचाप सुनते हैं,
कुछ नहीं बोलते।
लेकिन, कब तक सुनते रहेंगे-
उनकी बेवकूफ़ी और स्वार्थभरी बातें।
ऐसा नहीं कि-
हम बोल नहीं सकते,
हम बोल सकते हैं।
ड़र है, हमारे बोलने को भी
स्वार्थी भक्त भुना लेंगे,
अपना उल्लू सीधा कर लेंगे।
अपात्र को
जो न मिलना चाहिए, सहज मिल जायेगा
और पात्र की भावनाएं कुण्ठित हो जायेगी
हम अधिक दुखी हो जायेंगे।
यह सुनकर मेरी नींद खुल गई।
मैं सोचने लगा-
यह कैसा सपना है?
थोड़ी देर बाद-
फ़िर नींद लगी तो देखा-
शिवजी भक्तों के बीच खड़े
सभी को ड़ांटते हुए
कह रहे थे-
आप अपना काम तो करते नहीं
हमसे अपने काम की अपेक्षा करते हैं
इस अकर्मण्यता से हम बहुत दुखी हैं।
अभी तो मंदिर में बैठ सुन भी रहे हैं
आगे से यदि यही रवैया रहा तो
मानता पूरी करने की चुनौती के साथ
हम मानव को मंदिर में विराजित कर देंगे।
इतने में क्रष्ण मंदिर से
घंटी की ध्वनि सुनाई दी
और मेरी नींद खुल गई।
फ़िर सुनाई दिया-
कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फ़लेषु कदाचन------।
मुसीबतें भी अलग अलग आकार की होती है
1 year ago
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