...कुछ कवितायें

परिचय

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भोपाल, मध्य प्रदेश, India

15.4.11

पुराने घर में

खाली पड़े पुराने घर में बरस बाद आया
आने लगी आवाजें जानी पहचानी
कुछ अजनबी
चिड़िया आ बैठी किवाड़ पर चहकने
किचन में बड़ा-सा काकरोच
खाने की उम्मीद के साथ
मूछ के बालों को साफ़ कर रहा है
छिपकली को भी पता चल गया है
वह हरकत में नहीं है
पिछले दिनों मेरी कविताएँ चट कर गई
दीमक अभी निराश है
दरवाजे आवाज करने लगे है
दीवारें शांत है
घडी की टिकटिक बंद है
तस्वीरों वाली खाली जगह
प्रश्नचिन्ह बन गई है
पेडपौधे मुरझा गए है
फूल नदारद है
बाहर तीखे स्वरों में
लड़ने की आवाजें है
बच्चों के हंसने की आवाज अब नही आ रही है
शायद वे बड़े हो गए है
अड़ोसी-पड़ोसी व्यस्त है पहले की तरह
अँधेरा अधिक
रोशनी कम है
घटते मूल्यों की तरह
परस्पर प्यार की कमी हो गई है
फिर भी पुराना घर
नए घर से अच्छा लगने लगा है। ----

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