...कुछ कवितायें

परिचय

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भोपाल, मध्य प्रदेश, India

15.11.06

पता ही नहीं चला

मुझे पता ही नहीं चला
तुमने मेरी कविता में
प्रवेश कर लिया।
फ़िर कैसे नहीं-
विषयान्तर होता।

देखने के बाद
हमेशा की तरह
सोचता रहा-
पहले दिन से आज तक्।

आज, से डर लगने लगा
कल, लुभावना निडर था
वह कब हाथ छोड
दूर कहीं चला गया
पता ही नहीं चला।

मै कल से लडा था
आज से लड रहा हूं
आगे भी लडूंगा
तुमसे हिम्मत है मुझ में।

3 comments:

Udan Tashtari said...

अच्छा है. स्वागत है आपका हिन्दी चिट्ठा जगत में. लिखते रहें.
-समीर लाल

अनूप शुक्ल said...

स्वागत है.लिखें और नियमित.

अनुराग श्रीवास्तव said...

स्वागत है आपका. चाह है आगे भी ऐसी ही सुंदर कविताये पढने को मिलती रहें.

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