...कुछ कवितायें

परिचय

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भोपाल, मध्य प्रदेश, India

19.11.06

यमराज अब प्रथ्वी पर

उस काल में
जब यमलोक में यमराज होते थे
तब अवध में राम, गौकुल में घनश्याम होते थे
नाम पुकारते ही
दौड़े आते थे हमारे भगवान-
दुखी की मदद को।

आज प्रथ्वीलोक पर
राम और श्याम की बजाय
यमराज रह्ते है
अपने कारखाने को
चौबीसों घन्टे खुला रख,
प्रतिस्पर्र्धात्मक
उपलब्धियां देने के लिये।
चौबीसो घन्टे, हर पारी में
कारखाने में
बेरोक-टोक, काम चल रहा है।
सुना है,
और म्रत्यु के आंकड़े भी बताते है-
शायद कारखाने में
ओवर टाईम की भी व्यवस्था है।

और हमारे
राम और श्याम-?
वे तो कई दिनों से लापता है।
उन्हें खोजने के लिये
दानव और मानव सभी
पुलिसिया अन्दाज मे
मुस्तैदी से लगे हुए हैं।
अभी तक उनकी
कोई खबर नहीं है
प्रयास जारी है।
वह देखो-
सतत प्रयास की
प्रमाणित ध्वनि-
"हरे राम, हरे क्रष्ण"
फ़िर सुनाई पड़ रही है।

काश्। यह ध्वनि
स्वयं राम एवं क्रष्ण सुनले
और निर्बाध गति से चल रहा
यमराज का कारोबार ही
हमेशा-हमेशा के लिये बन्द हो जाये।

2 comments:

रवि रतलामी said...

"...और हमारे
राम और श्याम-?
वे तो कई दिनों से लापता है।
उन्हें खोजने के लिये
दानव और मानव सभी
पुलिसिया अन्दाज मे
मुस्तैदी से लगे हुए हैं.."

वाह! वाह!! नए अंदाज का व्यंग्य पसंद आया.

संजय बेंगाणी said...

वाह! जी, खुब लिखे हो.

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