...कुछ कवितायें

परिचय

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भोपाल, मध्य प्रदेश, India

4.10.07

बेटा

वह मेरा बेटा है
मुझे पापा कहता है
मैं उसे बेटा कहता हूं

देखकर लोग कहते हैं
मेरे जैसा दिखता है
पहले भी कहते थे

दिखता ही नहीं था-
मेरे जैसा रहता था
मेरे जैसे कपडे पहनता था
मेरे जैसे चलता था
मेरे जैसी बात करता था
मेरी नकल करता था

अब बडा हो गया है
मेरे जैसा दिखता है
मुझे पापा कहता है
मैं उसे बेटा कहता हूं

अब उसे मेरे जैसे दिखना
मेरे जैसे रहना
मेरे जैसे कपडे पहनना
मेरे जैसे चलना
मेरे जैसी बात करना
मेरी नकल करना
अच्छा नहीं लगता।

7 comments:

Udan Tashtari said...

बहुत दिनों से लिखना बंद है क्या..काफी अर्से बाद दिखे?

कैलाश चन्द्र दुबे said...

आदरणीय समीरजी,
मुझे आपसे उम्मीद रह्ती है, उत्साहवर्धन मिलेगा इसलिये लिखता हूं। अब शिकायत नहीं होगी, अधिक लिखूंगा। धन्यवाद्।

ramesh mehar said...

hindustan ke newspaper aur mandir logon ko dekhte hue mujhe sharm aati hai
birla udyogpati ke guesthouse kedarnath temple mein hai
badrinath temple bheem ne pandabvo ko nadi par kear ek vishal shila ko nadi par rakha tha
is par videshiyp ko ya vaigyaniko ko kya shiksha doge? phir ye to ramayan ka ram setu hai
ansh...dainik avantika...ujjain...saturday..12 jan 08...page 4..
prastuti...p. bhuvnesh pandey

roj inke sandesh desh videsh ke log padte honge inke same ramayan hai to mere samnbe church bhi hai
kya shiksha donge

thanks

Ramesh Chandra Mehar
cold storage operator

sandesh ujjain se prakashit newspaper mein ek naam

BrijmohanShrivastava said...

बहुत प्रेक्टिकल बात

Doobe ji said...

uncle sadar pranam apka blog dekha acha laga sundar kavita likhi hai apne badhai ek request hai ki regular likhiye mere blog par jaroor padhariyega thanx n once again pranam

महेन्द्र मिश्र said...

वह मेरा बेटा है
मुझे पापा कहता है
मैं उसे बेटा कहता हूं.

bahut badhiya Bhavuk apnepan ka ahasaas karati rachana.aaj pahali baar apke blaag ka avalokan kiya achcha laga.

mahendra mishra
jabalpur.m.p.

BrijmohanShrivastava said...

अब आगे कुछ लिखना नहीं है क्या ?

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